हद तो यह है हमारी वाइट कोट सेना को भी इस दौर में बख्शने से लोग बाज नहीं आये हैं इनमें कई मालिके मकान भी शरीक रहें हैं। प्रधानमन्त्री के नोटिस लेने के बाद ऐसे मामले बे -शक रुके हैं लेकिन ये कौन सी दुनिया के लोग हैं इतने निराले जिन्हें दिन को दिन नज़र नहीं आता ?
आज संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव डॉ आंबेडकर साहब की जयंती है। इस मौके पर जबकि देश और पूरी दुनिया के सामने अभूतपूर्व संकट है कुछ जां बाज अपनी जान पे खेल के करके देश की चौतरफा हिफाज़त में लगे हुए हैं इनमें अग्रणी हैं कर्म -कर्मठ कर्म- समर्पित सफाई कर्मचारी (ज़हीन लोगों के लिए कूड़ा कचरे वाले )स्टेथोस्कोप सिपाही और सड़कों का रंग खाकी कर देने वाले जाबाज़ जिनके लिए दिन रात घर बाहर का फर्क बे -मानी हो गया है। ऐसे समय में जबकि तमाम शहरी डोमेस्टिक हेल्प (माइयाँ ,मैड्स ,कामवालियां बहुबिध पुकारी जाने वाली) कामगार सेना बे -चैन ,बे -रोज़गार है। याद आता है अपने फरीदाबाद निवास के दौरान खासा वक्त गुज़ारने के दौरान मैंने देखा कचरे वाला टूटी हुई चप्पल को संभालता भाग -भाग कर हर घर के सामने अंदर बाहर रखे कूड़ेदानों को बिजली की फुर्ती के साथ म्यूनिसपिल्टी की गाड़ी में डाल रहा है। इस मुश्किल दौर में उनकी खोज खबर लेना उनकी आर्थिक इमदाद करना उतना ही ज़रूरी है जितना कोरोना फंड में अपना अंशदान दिल से देना। खाली सफाई कर्मियों को कहीं -कहीं माला पहनाने से ब...