एलोपैथी और आयुर्वेद की फ़ालतू तकरार (क्षमा शर्मा ,पंजाब केसरी एक जून २०२१ अंक )के संदर्भ में मुझे एक बहुत पुराना किस्सा याद आ रहा है जिसपर एक वृत्तचित्र भी बना था -'दी अदर साइड आफ दी कोइन "
एलोपैथी और आयुर्वेद की फ़ालतू तकरार (क्षमा शर्मा ,पंजाब केसरी एक जून २०२१ अंक )के संदर्भ में मुझे एक बहुत पुराना किस्सा याद आ रहा है जिसपर एक वृत्तचित्र भी बना था -'दी अदर साइड आफ दी कोइन " फिल्म उस व्यक्ति की पत्नी ने बनाई थी जो मशहूर सिगरेट निर्माता कम्पनी 'केमिल 'के विज्ञापन में काम करते करते सिगरेट की भेंट चढ़ गया। उसे फेफड़ा कैंसर हुआ और बचाया न जा सका। जबकि युवा रहते वह इम्पाला कार में चलता है जब कार रूकती है उस के सभी दरवाज़ों पर परम सुंदरियां उसका बोसा लेने को बेताब दिखती हैं ,विज्ञापन कहता है केमिल पीने वालों की बात ही और है उसे तसल्ली से सिगरेट नोशी करते देखा जाता है। उसी तम्बाकू निगम में कार्यरत शोधार्थियों ने तब वह कार्सिनोजन्स (कैंसर पैदा करने वाले तत्वों की भी शिनाख्त कर ली थी और इन तत्वों को सिगरेट से निकालने की पेशकश भी की। कम्पनी को ना तैयार होना था न वह हुई। हीरो केमिल का मारा गया। ).वृत्त चित्त इसी सत्य को उद्घाटित करता है। क्षमा शर्मा अपने आलेख में ऐसी ही दो महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख करतीं हैं। जिनका हम आगे ज़िक्र करेंगें पहले कुछ और स...